Wednesday, March 13, 2013

प्यार


चलो किस्सा ये प्यार का यही निपटा ले
थोडा तुम्हारे हिस्से में रहा थोडा हम ले जायेंगे,

वोह जो गुनगुनाते थे तुम धीरे धीरे खामोश  सर्द रातो में
और मै देखती थी सितारों को खिड़की से अपनी
और जलाने लगती थी उनको तुम्हारे साथ होने पर
वोह ख़ामोशी  मै रख लेती हू उन सितारों की
तुम वो जलन  साथ ले लेना

तुम्हारे कंधे पर रखकर सर में अपना, ना जाने कितनी रातें सोयी हू
और तुम्हारा सहलाना मेरे बालो को अपनी उंगलियों से
मुझे एहसास वही दे देना ,
 तुम मेरी नींदों को रख लेना

तुम्हे  याद होगा, बेहिसाब निकल पड़ना पैदल अनजान राहो पर
कभी रौनक कभी खामोश से शहर
वो  बाजारों की दिन की हलचल तुम्हारी,
 मुझे तनहा रातो की सैर दे देना

प्यार की वो नज़र तुम्हारी मेरी मुस्कराहट  बनकर खिल जाती थी
बनकर शब्द वो नज़रे  तुम्हारी बाते बेहिसाब किया करती थी
उस नज़र की एक याद मुझे रखने दो
तुम मेरी मुस्कराहट  ताउम्र रख लेना

No comments:

Post a Comment