Wednesday, July 6, 2011

सोचा है


मेरी नाराज़गी महज़ रूठने मनाने के लिए नही
ये तो मेरी ज़िन्दगी का अंदाज़ बाया करती है
कभी रुसवा ज़माना करता है कभी अपने किया करते है ...
सोचा है इस बार उस पुराने से संदूक में बंद कर लू
अपने ख्वाबो को, की ये उड़ न पाए
बहुत घायल से हो चुके है जब भी उड़ान भरी है दूसरो के आसमानों में...
मेरा ज़िक्र जब भी होता है, तमाशा अपने आप ही बन जाता है
बहुत लोग है ज़माने में, जिन्हें हसने का और कोई बहाना नही मिलता
सोचा है इस बार से मिलना भी छोड़ दू लोगो से
शायद मेरे नाम सा कोई आयर शख्स मिल जाये उन्हें..
ये गुज़र तो रही है धीमी धीमी रफ़्तार से ज़िन्दगी
सोचा है इस बार सासों के हिसाब में उलट फेर कर दू...

Saturday, April 2, 2011

मुझे रहने दो


मुझे रहने दो गुमनामी में
ये अँधेरे कभी उस उजाले से ज्यादा भाते है
जो उजाले साथ में लाते है शर्त , जागते रहने की....

मुझे खफा रहने दो
मनाने के झूठे बहानो से
ये टूटती उम्मीदों के सिलसिलो को बढ़ाते है....

किसको फ़िक्र है यहाँ जश्न की
हम तो हर नाकामयाबी में समझा लेते है
कुछ तो है जो सिर्फ अपना है
जिसे बाटना नही पड़ता,,,,,,

बदल रही है आरजू वक़्त के साथ
कभी जिद थी मुस्कुराने की
और आज जिद है महज़ जीने की .....

Saturday, January 15, 2011

कह देना


आज रौशनी से कह देना
की थोड़ी धीमी आँच में सिक कर आये,
जम चुके है मेरे एहसास बर्फ से
और आँखे ढूंढ रही है उस तपिश को,

कब का बंद हो चुका है वह सुराख़
जहाँ से टटोलती थी एक जोड़ीदार आंखे,
मेरी साँसों की हलचल को ,
उन आँखों से इतना कह देना
नए सुराख़ का कोई तो इंतजाम कर लें

बुलाया तो आज भी है
किसी ने जश्न में अपने
बस थोड़ी सी उलझन है
आज रंगत नही उस लिफाफे में पहली जैसे
और नाम मेरा जैसे जल्दबाजी में लिखा है

मिले वह लोग तो इतना कह देना
न बुलाओगे तो भी इससे बेहतर होगा
मुझे अब भीड़ से डर लगने लगा है

Tuesday, January 4, 2011

नाम


तुम मुझे दो कुछ नाम और
देखो मै वही बन जाऊंगी
ख्वाब कहोगे तो तुम्हारी पलकों की
थिरकन पर बिखरूंगी सवरूंगी
थोडा इतराते हुए और मुस्कुराते हुए
चुपचाप तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन ही जाऊंगी
और जो कह दोंगे मुझे
मै कोई हकीक़त कडवी सी,
तो भी क्या
बस यू ही एक अनजान की तरह
छोड़ जाऊंगी तुमको,
वही से जहा से तुम इशारा कर दोगे जाने का
ग़ज़ल गीत जो कह दोगे
तो शब्दों को अपने आगोश में यू ले लुंगी
जो मेरी शक्शियत का आईना बन जाए और
गुनगुनाते रहे तुम्हारे लब जिन्हें हमेशा
और जो कुछ नाम न भी दोगे तो कोई शिकायत नही
मुझे पता है ये
नाम उन्हें दिए जाते है जिन्हें किसी एक शब्द में तराशा जा सके
मैंने तो हर पल में बदला है अपना मिजाज़ तुम्हारे लिए