मेरे कमरे में बिखरे सामन को देखकर
पहले सोचा होगा तुमने तलाश शुरू करू कहा से
फिर टटोलने लगे होगे अलमारियो को, कुछ पुराने कागजों की तलाश में
मेरे कल की तलाश में
फिर अनमने मन से कुरेदने लगे होंगे दीवारों पर लगी तस्वीरों को
जैसे ढूँढता है कोई चावलों के बीच किसी घुन को
यु एक कमरे से दुसरे कमरे में
कभी फर्श पर कभी छत पर देखा होगा भेद देने वाली नजरो से
फिर आवाज़ दी होगी पड़ोसियों को
पुछा होगा उनसे मेरा हितेषी बन मेरे बारे में
स्वर बदले होंगे फिर धमकी में
जब सम्भावनाये शून्य बनती जा रही होंगी
गुस्से से बंद किया होगा दरवाज़ा जाते वक़्त
बस एक बार पढ़ लिया होता मेरा आखरी ख़त फाड़ने से पहले
तो जवाब मिल जाते खुद और रोज़ यु तलाशी न लेनी पड़ती मेरे कमरे की
emotional atyachar .. :)kidding u !
ReplyDeletevery impressive ...
I love it.