दो घडी सास तो लेने दो
फिर मै चल दूंगा
ज़रा अपनी यादो को यु बाँध लू अपने सामान के साथ
फिर मै चल दूंगा
मेरे नाम की गूँज जो अभी भी किसी कोने में मुझे ढूँढती है
उसका कुछ इंतजाम तो कर लू
फिर मै चल दूंगा
अभी तो शीशे पर बिखरी है मेरी हर सुबह जो ख़ास थी
अभी बाकी है हिसाब उस अजनबी पडोसी से उधार का
अभी तो हटाने हे परदे जो बेमेल से थे मेरी पसंद के
अभी तो ख़त्म करना है इंतज़ार दरवाजे पर किसी का
अभी तो फूल जो सुखाये थे किताबो के बीच ढूँढने है
अभी वोह नमी दीवारों को नए रंग की सुखानी है
ज़रा ये बंदोबस्त तो कर लू
फिर मै चल दूंगा
अभी वोह नमी दीवारों को नए रंग की सुखानी है
ReplyDeleteज़रा ये बंदोबस्त तो कर लू
फिर मै चल दूंगा ..
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kafi hat ke likhaa hai aapne-badhai
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आप बहुत अच्छा लिखते हो|
ReplyDeleteवाह! क्या रचना लिखी है. बहुत उम्दा.
ReplyDeleteजारी रहें. शुक्रिया.
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कुछ ग़मों के दीये
संगीता जी,
ReplyDeleteवाह....बहुत सुन्दर ख्याल हैं आपका ब्लॉग अच्छा लगा...कुछ अलग है आपमें ये पोस्ट शानदार लगी.......एक टिप्पणी दे दूँ ....फिर मैं चल दूंगा- :)
आगे भी ऐसा ही पड़ने को मिलता रहेगा इस उम्मीद में आपको फॉलो कर रह हूँ .....
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को को भी)
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
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एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
"अभी तो शीशे पर बिखरी है मेरी हर सुबह जो ख़ास थी
ReplyDeleteअभी बाकी है हिसाब उस अजनबी पडोसी से उधार का
अभी तो हटाने हे परदे जो बेमेल से थे मेरी पसंद के
....
ज़रा ये बंदोबस्त तो कर लू
फिर मै चल दूंगा"
पढ़कर अच्छा लगा - शुभकामनाएं
bahut sundar
ReplyDeleteइस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteअभी तो ख़त्म करना है इंतज़ार दरवाजे पर किसी का
ReplyDeleteअभी तो फूल जो सुखाये थे किताबो के बीच ढूँढने है
अभी वोह नमी दीवारों को नए रंग की सुखानी है
ज़रा ये बंदोबस्त तो कर लू
फिर मै चल दूंगा
...
नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है....
http://veenakesur.blogspot.com/
बहुत उम्दा रचना| शुभकामनाएं !
ReplyDeleteलेखन के मार्फ़त नव सृजन के लिये बढ़ाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDelete-----------------------------------------
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आलेख-"संगठित जनता की एकजुट ताकत
के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी!"
का अंश.........."या तो हम अत्याचारियों के जुल्म और मनमानी को सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय-सरकारी कर्मचारी, अफसर तथा आम लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की ढाल बन जायें।"
पूरा पढ़ने के लिए :-
http://baasvoice.blogspot.com/2010/11/blog-post_29.html
dont have words ....................
ReplyDeletetruly amazing ....
" भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" की तरफ से आप, आपके परिवार तथा इष्टमित्रो को होली की हार्दिक शुभकामना. यह मंच आपका स्वागत करता है, आप अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "फालोवर" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच