मेरी मौजूदगी यू मेरे अपनों के बीच न ढूढ़
मेरा फ़साना तो अनजान रास्तो में बिखरा पड़ा है
किस किताब को पलटते हो मेरा ज़िक्र लिखा हो जिसमे
मेरा एहसास कुछ पन्नो में कहा सिमट पाया है
मै कोई अनमोल ख्वाब नही जो आँखों में बसा करू
कीमत मेरे वजूद की अभी इतनी भी नही
पर जिस की आँखों में बसेगी ये हकीक़त
उसकी कीमत का कोई हिसाब कहा लगा पाया है
मै ज़माने के खूबसूरत दस्तूर नही
मै तो नाकामयाब से एक वक़्त का हिस्सा हु
मशहूर होने के तेवर नही मुझमे
बस इतनी सी शिकायत है मुझे
मेरे एहसासों को तराजू मै कम मत तौलो
इनके वजन को देखा है बस तुमने
इनकी गहराई को आज तक मापा कहा गया है
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