यू हम भी बिखरे बिखरे से रहते थे
और पता भी नही चला की ज़िन्दगी भी हिस्सों मे बटती चली गयी
हम बेहिसाब इस उम्र को खर्च करते चले गए
और पता भी नहीं चला कब इस उम्र को पास रखने की ख्वाहिश भी चली गयी
कैद खुद को पाते है अब अजीब हालातो मे
और इस कदर बैचैन से हो जाते है
की अब लगता है कि
वह वक़्त भी आया था कभी, जब उड़ने को पंख नए मिल जाते थे
और आज सिर्फ आसमा है सामने
और ना जाने कब ज़मी मे चलना सही लगने लगा
उड़ने की बाते ऐसा लगता है पुरानी कित्ताबो मे कही चली गयी
Allow Your Own Inner Light to Guide You, There comes a time when we all must stand alone.
ReplyDeleteYou must feel confident enough within yourself to follow your own ways.
Be strong enough to at least try to make your life better.
nice post...