मुझे सुनना चाहते हो तो इस बार मुझे सुनना इस तरह
कि मेरी ख़ामोशी एक गूंज बन जाये तुम्हारे लिए
और मुझे जानने में थोड़ी भी दिलचस्पी हो तो
इस तरह मुझे जानने की कोशिश करना कि
मेरी शक्शियत बन जाये मेरे ये शब्द तुम्हारे लिए
Sunday, August 29, 2010
कभी कभी
कभी कभी जरुरी नही है शब्दों का वजनदार होना तुम्हे एहसास दिलाने के लिए कभी कभी बस ज़रूरी होता है अधर की हलकी मुस्कराहट तुम्हे हर अधिकार दिलाने के लिए .....
well said,
ReplyDeletebut ese thora aur explain karo ..