Tuesday, January 4, 2011

नाम


तुम मुझे दो कुछ नाम और
देखो मै वही बन जाऊंगी
ख्वाब कहोगे तो तुम्हारी पलकों की
थिरकन पर बिखरूंगी सवरूंगी
थोडा इतराते हुए और मुस्कुराते हुए
चुपचाप तुम्हारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन ही जाऊंगी
और जो कह दोंगे मुझे
मै कोई हकीक़त कडवी सी,
तो भी क्या
बस यू ही एक अनजान की तरह
छोड़ जाऊंगी तुमको,
वही से जहा से तुम इशारा कर दोगे जाने का
ग़ज़ल गीत जो कह दोगे
तो शब्दों को अपने आगोश में यू ले लुंगी
जो मेरी शक्शियत का आईना बन जाए और
गुनगुनाते रहे तुम्हारे लब जिन्हें हमेशा
और जो कुछ नाम न भी दोगे तो कोई शिकायत नही
मुझे पता है ये
नाम उन्हें दिए जाते है जिन्हें किसी एक शब्द में तराशा जा सके
मैंने तो हर पल में बदला है अपना मिजाज़ तुम्हारे लिए

4 comments:

  1. संगीता जी,

    लफ्जों की बयानी शानदार है......बहुत खूब....

    कुछ गलतियाँ है हो सके तो दुरुस्त कर लें -

    यू - यूँ (yun)
    लुंगी - लूँगी
    शक्शियत - शख्सियत

    कई बार इन छोटी गलतियों से पूरा भाव ही बदल जाता है.....पोस्ट करने से पहले अगर एक बार आप खुद पूरी पोस्ट पढ़ लें तो ये खुद आपकी पकड़ में आ जाएँगी|

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  2. thanks imraan jii aapke comments mera margdarshan kar rhe hai koshish karungi kii next time se ye galtiya na ho aur isi dar se yaha english me likh rhi hu :)

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  3. perhaps the best.. love this..

    love is complete submission.. much to wish, much to lose..

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