Sunday, August 29, 2010

कोशिश

तुम हर बार रोक लेते हो मुझे
जब भी मै उस रास्ते पर निकलने लगती हूँ
ये कहकर कि
ये मेरे लिए नही बना
फिर क्यों हौसला बढ़ाते हो
उसका जिसे तुम जानते भी नही
हर बार यही होता आया है
और मैंने हर बार तुम्हारे हिसाब से तय किये है कितने ही अनजान सफ़र
एक बार मुझे समझने की कोशिश करते
तो शायद तुम्हे पता चल जाता
ये रास्ता इस बार मैंने नही चुना
इसने चुना है इस बार मुझे

2 comments:

  1. Very Impressive.
    really, u have expressed yourself very well.
    Me loves this post.

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  2. strong.. and almost helpless.. love this

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